यूनियन बजट 2025 में कुछ बदलाव किए गए हैं। जानकारी के लिए बता दें कि वित्त मंत्री ने वर्ष 2025 के टैक्स स्लैब को बदल दिया है। बताते चलें कि जो लोग इनकम टैक्स जमा करते हैं इन्हें इस नए बजट के तहत काफी राहत मिल सकती है।
पिछले वर्ष के बजट में नए टैक्स सिस्टम के अंतर्गत कई तरह के महत्वपूर्ण बदलाव किए गए थे। टैक्स स्लैब में संशोधन किया गया जिससे कर दाताओं को राहत मिली है। कैपिटल गेंस टैक्स में सुधार किया गया जिसकी वजह से निवेशकों को फायदा हुआ।
इसके अलावा और भी बहुत सारे महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इसलिए आपको यूनियन बजट 2025 की पूरी जानकारी जरूर होनी चाहिए। आज के इस आर्टिकल में हम आपको यूनियन बजट से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराएंगे जो आपके लिए काफी ज्यादा उपयोगी रह सकती है।
Union Budget 2025
वित्त मंत्री के द्वारा नई टैक्स रीजीम में कुछ बदलाव किए गए हैं। इसके तहत टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया है। जानकारी के लिए बता दें कि इस संशोधन के कारण अब ऐसे लोगों को काफी राहत मिली है जो इनकम टैक्स भरते हैं। इस प्रकार से अब कर दाताओं पर लागू होने वाला टैक्स कुछ इस तरह से है –
- वार्षिक 300000 रूपए की कमाई पर अब कोई भी कर नहीं लगाया जाता है।
- नई टैक्स रीजीम के तहत करदाताओं को अब 3 से 7 लाख रुपए तक की कमाई पर 5% तक कर देना होता है।
- जबकि 7 से 10 लाख रुपए पर अब 10% टैक्स भरना पड़ता है।
- इसी तरह से 12 से 15 लाख रुपए की आय पर अब 20% कर लागू किया गया है।
- वहीं 15 लाख रुपए से ज्यादा की आय पर अब करदाताओं को 30% टैक्स भरना है।
कैपिटल गेंस टैक्स में किए गए बदलाव
वित्त मंत्री द्वारा कैपिटल गेंस टैक्स में भी कई तरह के महत्वपूर्ण नियमों को बदला गया था। इस संशोधन में मुख्य तौर पर स्टॉक्स, म्युचुअल फंड्स और प्रॉपर्टी से संबंधित कर प्रावधानों में बदलाव किए गए हैं जिसके बारे में जानकारी नीचे दी गई है :-
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स :-
अगर कोई व्यक्ति 12 महीने से पहले स्टॉक या फिर इक्विटी म्युचुअल फंड की यूनिट्स को बेचता है तो ऐसे में शॉर्ट टर्म कैपिटल गैंस टैक्स लागू किया जाता है। बता दें कि पहले यह कर 50% तक था जिसे अब बढ़कर 20% तक कर दिया गया है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस :-
अगर कोई निवेशक 12 महीने के बाद स्टॉक या इक्विटी म्युचुअल फंड को बेचता है तो ऐसे में उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को लागू किया जाएगा। बताते चलें कि पहले यह कर 10% तक था और अब इसे बढ़ाकर 12.5% तक कर दिया गया है। इसके साथ ही टैक्स से छूट की सीमा को अब 100000 रूपए से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपए तक कर दिया गया है।
प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेंस टैक्स :-
प्रॉपर्टी की बिक्री पर पहले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स 20% तक था। अब इसको घटाने के बाद 12.5% तक कर दिया गया है। लेकिन इसमें अब इंडेक्सेशन के लाभ को हटा दिया गया है। इसकी वजह से मुद्रास्फीति के आधार पर कर बचत का विकल्प अब समाप्त हो गया है।
दरअसल यह संशोधन संपत्ति विक्रेताओं और निवेशकों के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे टैक्स की देनदारी और कर बचत के अवसरों पर बहुत प्रभाव पड़ेगा।
स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि :-
देश की वित्त मंत्री के द्वारा पिछले वर्ष जुलाई के महीने में बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन में कुछ बदलाव किए गए थे। इस तरह से स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50 हजार रुपए से बढ़कर 75 हजार रुपए तक कर दिया गया था। परंतु इसे सिर्फ नई टैक्स रीजीम के लिए ही लागू किया गया था। इस वजह से पुरानी टैक्स रीजीम पर इसका कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा है।
एनपीएस में कर के फायदे में वृद्धि :-
सरकार के द्वारा यह भी ऐलान किया गया था कि जो लोग निजी सेक्टर में काम करते हैं, तो नई टैक्स रीजीम के तहत इन्हें एंपलॉयर के योगदान पर अधिक कर छूट प्रदान की जाएगी। जानकारी के लिए बता दें कि पहले यह सीमा 10% तक ही थी और अब इसे बढ़ाकर 14% तक कर दिया गया है।
एमएनसी कर्मचारियों को ईसॉप्स पर मिली राहत
एमएनसी कंपनियों में काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों को आमतौर पर विदेशी पोस्टिंग मिलती है और फिर इसके अनुसार ही इन्हें ईसॉप्स दिए जाते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि पहले अगर कर्मचारी अपनी विदेशी संपत्ति का विवरण टैक्स रिटर्न में दर्ज नहीं करते थे, तो ऐसे में इन पर 10 लाख रुपए तक की पेनल्टी लगाई जाती थी।
लेकिन पिछले साल सरकार ने इस नियम को बदल दिया है। दरअसल अब सरकार ने यह फैसला लिया है कि 20 लाख रुपए तक की विदेशी संपत्तियों की जानकारी ना देने पर सरकार कोई भी पेनल्टी कर्मचारी पर नहीं लगाएगी।
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