यूपी बेसिक शिक्षकों के लिए खुशखबरी सामने आई है। आपको बता दें कि यूपी बेसिक शिक्षा विभाग के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बहुत ही अहम आदेश जारी किया है। बताते चलें कि हाईकोर्ट ने सभी ऐसे अध्यापकों के लिए जो मौजूदा समय में प्राथमिक विद्यालयों में हेडमास्टर के पद पर कार्यरत है इनके लिए बड़ी खबर जारी की है।
दरअसल अब इन सभी लोगों को हेड मास्टर के पद का जो वेतन होता है वह प्रदान किया जाएगा। दरअसल सारे अध्यापकों के द्वारा 3 वर्ष पहले हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। ऐसे में अब इन सभी को बकाया एरियर का पैसा जारी किया जाएगा।
इसके अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश जारी किए हैं कि अब हेड मास्टर के पद पर केवल वरिष्ठ सहायक अध्यापकों को ही जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इस प्रकार से हाई कोर्ट के आदेश के बाद लाखों शिक्षकों के चेहरे खुशी से खिल गए हैं। आज के इस पोस्ट में हम आपको इसी से जुड़ी हुई जानकारी देंगे ताकि आपको विस्तार से पता चले कि हाईकोर्ट ने क्या आदेश जारी किया है।
UP Basic Teacher Good News
इलाहाबाद हाई कोर्ट के द्वारा उत्तर प्रदेश के लाखों शिक्षकों के लिए एक बहुत ही बड़ा फैसला जारी किया गया है। जानकारी के लिए बता दें कि लंबे समय से उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में हेड मास्टर के पदों पर सहायक अध्यापक जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
लेकिन समस्या यह थी कि इन सभी अध्यापकों को हेड मास्टर की ड्यूटी पर रहते हुए वेतन अध्यापक का ही मिल रहा था। ऐसे में यह सभी शिक्षक चाहते थे कि इन्हें जिम्मेदारी के अनुसार वेतन प्रदान किया जाए। सारे शिक्षकों के द्वारा हाई कोर्ट से यह मांग की गई थी कि इन्हें हेड मास्टर के पद का वेतन दिया जाए।
जानकारी के लिए बता दें कि साल 2014 से या फिर इससे भी पहले समय से उत्तर प्रदेश में हेड मास्टर के पद पर सहायक अध्यापक काम कर रहे हैं। जानकारी के लिए बता दें कि शिक्षकों के द्वारा डाली गई अपील के जवाब में यह कहा गया था कि उत्तर प्रदेश प्राथमिक विद्यालयों में हेड मास्टर की जरूरत नहीं है।
ऐसे में अधिकतर प्राथमिक विद्यालयों में 150 से भी ज्यादा विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। इस वजह से हेड मास्टर का इन विद्यालयों में कोई भी पद रिक्त नहीं है तो ऐसे में इन सबको हेड मास्टर के पद की सैलरी देने का सवाल ही नहीं उठता है। परंतु इलाहाबाद हाई कोर्ट के द्वारा इस बात को स्वीकार नहीं किया गया और शिक्षकों के हक में फैसला जारी किया गया है।
अब शिक्षक पात्रता परीक्षा नहीं होगी जरूरी
यहां हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में शिक्षक पात्रता परीक्षा के ऊपर भी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। दरअसल उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में जो भी शिक्षक सहायक टीचर के पद पर काम कर रहे हैं और पद की सारी जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं इन्हें शिक्षक पात्रता परीक्षा देने की जरूरत नहीं है।
इसके पीछे कारण है कि साल 2014 से पहले इन सभी शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी और ऐसे में हम आपको बता दें की एनसीईआरटी के द्वारा इसमें संशोधन बाद में किया गया था। इसके कारण शिक्षक पात्रता परीक्षा इन सभी के लिए अनिवार्य तौर पर लागू नहीं की जाएगी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश हेड मास्टर के पद का मिलेगा वेतन
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में यह भी कहा है कि आरटीई एक्ट 2009 के अंतर्गत छात्रों की न्यूनतम संख्या को तय किया गया था। इसके पीछे कारण था कि शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके।
परंतु इस एक्ट में यह नहीं कहा गया है कि अगर छात्रों की संख्या घट जाए तो हेड मास्टर का पद अपने आप समाप्त हो जाएगा। ऐसे में कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करने के बाद कहा कि सभी हेड मास्टरों को वेतन का भुगतान किया जाए। इस फैसले से प्रदेश के लाखों शिक्षकों के बीच में खुशी की लहर देखी जा रही है।
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